अब किसानों के आधार लिंक खाते में आएगा धान का पैसा
अब किसानों के आधार लिंक खाते में आएगा धान का पैसा
प्रदेश के तीन जिलों कोंडागांव, कोरिया और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में इसी साल से शुरुआत
सहकारी बैंक के चक्कर लगाने से मुक्ति, अगले साल से सभी जिलों में लागू होगी योजना
कितने किसान होंगे लाभान्वित
कोंडागांव 55,577 किसान पंजीकृत
कोरिया 22,755 किसान पंजीकृत
गौरेला-पेंडा-मरवाही 25,000 किसान पंजीकृत
(2024-25 खरीदी के आंकड़े)
फैक्ट फाइल
खरीदी अवधि 14 नतंबा 2024 से 31 जनवरी 2025
धान बेचने
फैक्ट फाइल
धान बेचने वाले किसान 25 लाख 49 हजार 592
कुल खरीदी गई मात्रा 149 लाख मीट्रिक टन
कुल भुगतान
31,089 करोड़ रुपए
सहकारी बैंक में पैसे निकालने में किसानों को होती थी परेशानी, अब एक साथ निकाल पाएंगे बैंक से पैसे
धान बेचने के बाद भुगतान के लिए सहकारी बैंक और समितियों के चक्कर लगाने वाले किसानों की परेशानी अब खत्म होने वाली है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस खरीदी सत्र से धान की राशि सीधे किसानों के आधार लिंक बैंक खातों में ट्रांसफर करने का फैसला किया है। फिलहाल यह व्यवस्था तीन जिलों (कोंडागांव, कोरिया और गौरेला पेंडा-मरवाही) में शुरू होगी। अगले साल से पूरे प्रदेश में इसे लागू करने की तैयारी है। प्रदेश सरकार का मानना है कि डीबीटी से भुगतान होने पर किसान सीधा फायदा उठाएंगे। आसानी से पूरा पैसा मिलेगा। न देरी होगी, न बिचौलियों की भूमिका। अभी तक किसानों को धान बेचने पर भुगतान सहकारी बैंक और समितियों के जरिए
धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों को छत्तीसगढ़ में परंपरागत रूप से सहकारी बैंकों व समितियों (कॉपरेटिव बैंक पैक्स) के जरिए भुगतान किया जाता है। इसमें किसानों को कई समस्याएं आती रहीं है-
किसानों की पुरानी परेशानियां
कई बार पैसा किस्तों में मिलता था।
ग्रामीण शाखाओं और समितियों में लंबी लाइनें लगती थीं।
खरोटरी केंद्र से पीं मिलने के बाद भी बैंक से पैसा आने में कई दिन लग जाते थे। नकदी की कमी से किसानों को बार-बार लौटना पड़ता था।
तकनीकी गड़बड़ियों के कारण भुगतान अटक जाता था। ऐसी स्थिति में कई किसानों को कर्ज लेकर काम चलाना पड़ता था।
डीबीटी से सीधे मिलेगा पूरा पैसा
अब किसानों को धान खरीदों का पैसा उसी खाते में मिलेगा, जिसमें उन्हें गैस सबिाड़ी और केंद्र-राज्य की अन्य योजनाओं का लाभ मिलता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि किसान अपनी जरूरत के हिसाब से कभी भी पूरी राशि निकाल सकेंगे। अभी तक सहकारी समितियों में माइक्रो एटीएम से सिर्फ 10 हजार रुपए तक की निकासी संभव थी। बड़ी
किसानों के लिए राहत
किसानों के लिए यह बदलाव सिर्फ सुविधा नाहीं, बल्कि उनकी आर्थिक स्वतंत्रता से जुड़ा है। खरीदी के बाद तुरंत और एकमुश्त भुगतान उन्हें खेती, मजदूरी और घर-परिवार की जरूरतें पूरी करने में सहूलियत देगा। संबी कतारों और किस्तों के इंतजार से मुक्ति मिलना ही किसानों के लिए सबसे बड़ी राहत साबित होगी। सरकार का मानना है कि आने बाले समय में इतनी बड़ी राशि सीधे किसानों के खातों में पहुंचने से पारदर्शिता और विश्वास दोनों बड़ेंगे।
सरकार की तैयारी जारी
चयनित जिलों में खातों को आधार से लिंक करने का काम तेजी से चल रहा है। शासन से इस संबंध में निर्देश मिला है। किसानों के बैंक खाते आधार से लिंक करवाए जा रहे हैं।
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