बकरी पालन – खर्चा, बीमारी, पालन विधि और सालाना आमदनी


बकरी पालन – खर्चा, बीमारी, पालन विधि और सालाना आमदनी


1. बकरी पालन की शुरुआत

मैंने बकरी पालन का काम गाँव में खाली पड़ी ज़मीन और थोड़े से पूँजी के साथ शुरू किया। बकरी पालन गाँव और शहर, दोनों जगह लाभदायक है क्योंकि बकरी का दूध, मांस, और बकरा–बकरी दोनों की मार्केट में अच्छी डिमांड रहती है।

---


2. बकरी पालन के लिए तैयारी

नस्ल का चुनाव: मैंने शुरुआत में Barbari, Sirohi, और Jamunapari नस्ल चुनी, क्योंकि इनका दूध और मांस दोनों की क्वालिटी अच्छी होती है।


शेड (खलिहान) की व्यवस्था: लकड़ी और बांस से ऊँचा शेड बनाया ताकि बारिश में पानी अंदर न जाए और सफाई आसान रहे।


चारा और पानी: हरा चारा (बरसीम, लुशर्न, नेपियर), सूखा चारा (भूसा), और मिनरल मिक्सचर। साफ़ पानी दिन में कम से कम दो बार देना ज़रूरी।




---


3. खर्चा (20 बकरी + 1 बकरा के हिसाब से)


खर्च का मद अनुमानित खर्च (₹)


बकरी खरीद (20 × ₹5,000) ₹1,00,000

बकरा खरीद (1 × ₹8,000) ₹8,000

शेड निर्माण ₹30,000

चारा (सालाना) ₹25,000

दवा व टीकाकरण ₹5,000

मज़दूरी/अन्य खर्च ₹12,000

कुल खर्च ₹1,80,000

---


4. बकरी पालन विधि


दूध के लिए: बकरियाँ रोज़ाना औसतन 1–2 लीटर दूध देती हैं, जो सीधा बिक सकता है या उससे पनीर/घी बना सकते हैं।


प्रजनन: बकरी 5–6 महीने में गर्भधारण करती है और औसतन 2–3 बच्चे देती है।


खुराक का समय: सुबह–शाम चारा, दिन में खुला चराना अच्छा रहता है।


सफाई: रोज़ शेड की सफाई करें और हफ्ते में एक बार चूने का छिड़काव करें


---


5. बकरियों की आम बीमारियाँ और बचाव


1. PPR (Plague) – खाँसी, बुखार, नाक से पानी।


बचाव: समय पर PPR का टीका।




2. Foot and Mouth Disease (FMD) – मुँह और पैर में छाले।


बचाव: FMD का टीका साल में 2 बार।




3. ET (Enterotoxaemia) – दस्त और अचानक मौत।


बचाव: ET का टीका।




4. खुजली और जूँ – खाल पर दाने, खुजली।


बचाव: दवा का स्नान, शेड की सफाई।

---


6. सालाना आमदनी (20 बकरी + 1 बकरा)


बकरी के बच्चे: 20 बकरियाँ × औसतन 2 बच्चे = 40 बच्चे


6 महीने में एक बच्चे की औसत कीमत ₹4,000 × 40 = ₹1,60,000



दूध बिक्री: 10 बकरियाँ × 1 लीटर × 200 दिन × ₹50 = ₹1,00,000


खाल और गोबर से अतिरिक्त आय: ₹10,000



कुल सालाना आय: ₹2,70,000

---

7. मेरा अनुभव

बकरी पालन में मेहनत तो है, लेकिन सही समय पर टीकाकरण, अच्छे चारे, और सफाई पर ध्यान देने से बीमारी कम होती है और मुनाफा बढ़ता है। अगर बाज़ार की सही जानकारी हो तो साल-दर-साल अच्छा लाभ मिलता है।



Comments

Popular posts from this blog

Bank of Baroda (BOB) Agri Sales recruitment

Life Insurance Corporation of India (LIC) has announced vacancies

Top 40 Agricultural Universities NIRF Ranking